Held every 12 years, the Maha Kumbh Mela holds profound spiritual importance for Hindus. Pilgrims from across the globe converge at the confluence of the Ganges, Yamuna, and the mythical Saraswati rivers to take a holy dip, a ritual believed to cleanse sins and aid in attaining salvation.
The festival's origins are rooted in Hindu mythology, symbolizing the victory of gods over demons in the quest for the elixir of immortality. The term "Kumbh" translates to "pitcher," referencing the vessel containing the sacred nectar.
To accommodate the massive influx of pilgrims, authorities have established a temporary city spanning approximately 4,000 hectares. This setup includes 150,000 tents, numerous kitchens, restrooms, and enhanced transportation services. Security measures are robust, with 50,000 personnel deployed, alongside advanced surveillance technologies such as drones and CCTV cameras to ensure the safety of attendees.
The festival also features processions of ascetics and holy men, some of whom are naked and smeared with ash, who lead devotees to the riverbanks for the ritual baths. These processions are accompanied by chanting and traditional rituals, adding to the event's spiritual ambiance.
The Maha Kumbh Mela not only underscores India's rich cultural and religious heritage but also highlights the nation's capacity to manage such a vast congregation, ensuring the well-being and spiritual fulfillment of millions of participants.
महाकुंभ मेला: भारत का दिव्य धार्मिक आयोजन
महाकुंभ मेला, जिसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक समागम माना जाता है, वर्तमान में प्रयागराज, भारत में आयोजित हो रहा है। यह पावन आयोजन 13 जनवरी 2025 से आरंभ हुआ है और आगामी छह सप्ताहों में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के सम्मिलित होने की संभावना है।
यह मेला प्रत्येक बारह वर्षों में आयोजित होता है और यह हिंदुओं के लिए अत्यंत आध्यात्मिक महत्व रखता है। देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के संगम पर स्नान करते हैं। मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से समस्त पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ का आधार हिंदू धर्म की पौराणिक कथा है, जिसमें अमृत कलश को लेकर देवताओं और असुरों के मध्य संघर्ष हुआ था। "कुंभ" शब्द का अर्थ "कलश" है, जो उस अमृत का प्रतीक है।
श्रद्धालुओं की विशाल संख्या को समायोजित करने हेतु लगभग 4,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में एक अस्थायी नगर की स्थापना की गई है। इस नगर में 1,50,000 तंबू, अनेक रसोईघर, शौचालय तथा परिवहन सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। सुरक्षा की दृष्टि से 50,000 सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है और ड्रोन तथा सीसीटीवी जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
इस आयोजन का मुख्य आकर्षण साधु-संतों की शोभायात्रा है। इनमें से अनेक साधु निर्वस्त्र होकर भस्म से अलंकृत रहते हैं। ये शोभायात्राएं मंत्रोच्चारण और पारंपरिक विधानों के साथ श्रद्धालुओं को पवित्र स्नान हेतु प्रेरित करती हैं।
महाकुंभ मेला केवल भारत की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा को ही नहीं दर्शाता, बल्कि इतनी विशाल जनसंख्या के संचालन में भारत की क्षमता का भी परिचायक है। यह आयोजन करोड़ों लोगों की आस्था और आध्यात्मिक तृप्ति का प्रतीक है।
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